एसएससी फेज 13 परीक्षा: विवाद और बवाल की पूरी कहानी SSC Phase 13 Exam: The whole story of controversy and uproar
एसएससी फेज 13 परीक्षा: विवाद और बवाल की पूरी कहानी
स्टाफ सलेक्शन कमीशन (SSC) की फेज 13 भर्ती परीक्षा, जिसे आधिकारिक तौर पर SSC Selection Post Phase XIII Examination 2025 के नाम से जाना जाता है, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में ग्रुप ‘C’ और ‘D’ पदों पर भर्ती के लिए आयोजित की जाती है। यह परीक्षा 10वीं, 12वीं, और स्नातक स्तर के उम्मीदवारों के लिए डिज़ाइन की गई है, जो डेटा एंट्री ऑपरेटर, क्लर्क, लैब असिस्टेंट, टेक्निकल ऑपरेटर, स्टोर कीपर, जूनियर इंजीनियर, रिसर्च असिस्टेंट, और जूनियर स्टेनोग्राफर जैसे पदों पर नौकरी पाने के इच्छुक हैं। इस वर्ष, 24 जुलाई से 1 अगस्त 2025 तक आयोजित इस परीक्षा में लगभग 2,94,017 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया, और इसके लिए 2,423 रिक्तियों की घोषणा की गई थी।
हालांकि, यह परीक्षा अपने आयोजन के पहले दिन से ही विवादों के घेरे में आ गई। तकनीकी खामियों, प्रशासनिक लापरवाही, और उम्मीदवारों के साथ कथित दुर्व्यवहार ने पूरे देश में विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया। सोशल मीडिया पर #SSCMisManagement और #SSCVendorFailure जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे, और दिल्ली के जंतर-मंतर पर “दिल्ली चलो” अभियान के तहत हजारों छात्रों और शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। इस लेख में हम इस परीक्षा के विवादों, इसके कारणों, और इससे उत्पन्न बवाल की विस्तृत चर्चा करेंगे।
एसएससी फेज 13 परीक्षा क्या है?
एसएससी फेज 13 एक कंप्यूटर-आधारित परीक्षा (CBT) है, जो मैट्रिकुलेशन (10वीं), हायर सेकेंडरी (12वीं), और स्नातक स्तर के उम्मीदवारों के लिए विभिन्न सरकारी पदों पर भर्ती के लिए आयोजित की जाती है। यह परीक्षा चार खंडों में बंटी होती है: सामान्य बुद्धिमत्ता (General Intelligence), सामान्य जागरूकता (General Awareness), मात्रात्मक योग्यता (Quantitative Aptitude), और अंग्रेजी भाषा (English Language)। इसमें 100 वस्तुनिष्ठ प्रश्न होते हैं, प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का, और गलत उत्तर के लिए 0.50 अंक की नकारात्मक अंकन (Negative Marking) होती है। परीक्षा का समय 60 मिनट है।
इस वर्ष, परीक्षा 24 जुलाई से 1 अगस्त 2025 तक विभिन्न शहरों में 194 केंद्रों पर आयोजित की गई थी। इसके लिए प्रवेश पत्र 21 जुलाई 2025 को जारी किए गए थे, और उम्मीदवारों को अपने केंद्रों की जानकारी 16 जुलाई से उपलब्ध कराई गई थी। यह परीक्षा विभिन्न सरकारी विभागों में 365 श्रेणियों के तहत 2,423 रिक्तियों को भरने के लिए थी।
विवादों की शुरुआत: तकनीकी और प्रशासनिक खामियां
एसएससी फेज 13 परीक्षा शुरू होने के पहले दिन से ही समस्याओं का सामना करना पड़ा। निम्नलिखित प्रमुख मुद्दों ने इस परीक्षा को विवादों का केंद्र बना दिया:
परीक्षा का अचानक रद्द होना: कई परीक्षा केंद्रों, जैसे दिल्ली के पवन गंगा एजुकेशनल सेंटर 2 और हुबली के एडुकासा इंटरनेशनल, में 24 से 26 जुलाई तक की परीक्षाएं तकनीकी और प्रशासनिक कारणों से रद्द कर दी गईं। उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्र पर पहुंचने के बाद सूचित किया गया कि “तकनीकी खराबी” के कारण परीक्षा नहीं होगी। इससे उन उम्मीदवारों में भारी नाराजगी फैली, जिन्होंने लंबी दूरी तय करके केंद्रों तक पहुंचने के लिए समय और धन खर्च किया था।
तकनीकी खामियां: कई केंद्रों पर कंप्यूटर सिस्टम हैंग होने, माउस न काम करने, और बायोमेट्रिक सत्यापन में विफलता की शिकायतें सामने आईं। कुछ जगहों पर सवालों के चित्र (Image-Based Questions) लोड नहीं हुए, जिससे उम्मीदवारों का समय बर्बाद हुआ। यह समस्याएं विशेष रूप से नए वेंडर, एडुक्विटी करियर टेक्नोलॉजीज, द्वारा संचालित नई परीक्षा इंटरफेस के कारण उत्पन्न हुईं। पहले यह जिम्मेदारी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के पास थी, जिसे उम्मीदवार अधिक विश्वसनीय मानते थे।
दूरस्थ परीक्षा केंद्रों का आवंटन: कई उम्मीदवारों को उनके गृह नगर से 500-1000 किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र आवंटित किए गए। उदाहरण के लिए, उत्तर भारत के कुछ उम्मीदवारों को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में केंद्र दिए गए। इसने उम्मीदवारों पर वित्तीय और भावनात्मक बोझ डाला, क्योंकि उन्हें यात्रा के लिए अतिरिक्त खर्च और समय देना पड़ा।
परीक्षा केंद्रों पर खराब सुविधाएं: उम्मीदवारों ने केंद्रों पर अपर्याप्त सुविधाओं की शिकायत की, जैसे बिना पंखे की गर्म कमरे, टूटी कुर्सियां, और मूलभूत सुविधाओं का अभाव। कुछ केंद्रों पर सुरक्षा कर्मियों द्वारा उम्मीदवारों के साथ दुर्व्यवहार की भी खबरें सामने आईं, जैसे कि वैध शिकायतें उठाने पर उन्हें धक्का देना या डराना।
वेंडर की विश्वसनीयता पर सवाल: नया वेंडर, एडुक्विटी करियर टेक्नोलॉजीज, पहले ही एक हाई कोर्ट के मामले में कथित तौर पर ब्लैकलिस्टेड होने के लिए चर्चा में था। उम्मीदवारों और शिक्षकों ने सवाल उठाया कि इतने महत्वपूर्ण परीक्षा प्रक्रिया को ऐसी कंपनी को क्यों सौंपा गया, जिसका ट्रैक रिकॉर्ड संदिग्ध है।
विरोध प्रदर्शन और सोशल मीडिया का रुख
इन समस्याओं ने उम्मीदवारों और शिक्षकों में भारी आक्रोश पैदा किया, जिसके परिणामस्वरूप देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। 31 जुलाई 2025 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर “दिल्ली चलो” अभियान के तहत हजारों उम्मीदवार और शिक्षक एकत्र हुए। इस प्रदर्शन में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) जैसे संगठनों ने भी समर्थन दिया। प्रदर्शनकारियों ने निम्नलिखित मांगें उठाईं:
स्वतंत्र जांच: परीक्षा प्रक्रिया में गड़बड़ियों और वेंडर के चयन की स्वतंत्र जांच की मांग।
वेंडर अनुबंध की समीक्षा: एडुक्विटी करियर टेक्नोलॉजीज के अनुबंध को रद्द करने और पुराने वेंडर TCS को बहाल करने की मांग।
पारदर्शिता और सुधार: भविष्य में परीक्षाओं को गड़बड़ी-मुक्त और पारदर्शी बनाने के लिए सुधार।
उम्मीदवारों के लिए मुआवजा: रद्द परीक्षाओं और दूरस्थ केंद्रों के कारण हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई।
सोशल मीडिया, विशेष रूप से एक्स (पूर्व में ट्विटर), इस आंदोलन का प्रमुख मंच बन गया। #SSCMisManagement, #SSCVendorFailure, और #JusticeForAspirants जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। उम्मीदवारों ने अपनी कहानियां साझा कीं, जैसे कि लंबी यात्रा के बाद परीक्षा रद्द होने का दुख, और कुछ ने केंद्रों पर बाउंसरों की मौजूदगी पर सवाल उठाए। एक यूजर ने लिखा, “हमारे सपने मजाक नहीं हैं! तकनीकी खामियां और वेंडर की लापरवाही ने हमारी मेहनत को बर्बाद कर दिया।”
एसएससी चेयरमैन का जवाब
विरोध प्रदर्शनों के बढ़ते दबाव के बीच, एसएससी चेयरमैन एस. गोपालकृष्णन ने 3 अगस्त 2025 को इंडिया टुडे टीवी को दिए एक साक्षात्कार में जवाब दिया। उन्होंने निम्नलिखित बिंदुओं पर सफाई दी:
वेंडर ब्लैकलिस्टिंग के आरोप खारिज: गोपालकृष्णन ने दावा किया कि एडुक्विटी करियर टेक्नोलॉजीज को पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया था, और कोई भी ब्लैकलिस्टेड कंपनी निविदा प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकती थी।
परीक्षा केंद्रों का आवंटन: उन्होंने कहा कि कुछ उम्मीदवारों को दूर के केंद्र इसलिए आवंटित किए गए क्योंकि हर शहर में बड़े केंद्र उपलब्ध नहीं थे। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि किसी को भी जबरदस्ती केंद्र आवंटित नहीं किया गया।
तकनीकी समस्याओं का समाधान: चेयरमैन ने स्वीकार किया कि कुछ केंद्रों पर सिस्टम क्रैश और बायोमेट्रिक विफलताएं हुईं, लेकिन इन मामलों में सिस्टम को रीबूट किया गया और उम्मीदवारों को दोबारा मौका दिया गया।
परीक्षा रद्द नहीं होगी: 4 अगस्त 2025 को गोपालकृष्णन ने स्पष्ट किया कि पूरी परीक्षा रद्द नहीं की जाएगी, लेकिन जिन उम्मीदवारों को तकनीकी समस्याओं या केंद्र आवंटन की गलतियों के कारण नुकसान हुआ, उनके लिए दोबारा परीक्षा आयोजित की जा सकती है।
आगामी कदम और भविष्य की चिंताएं
एसएससी फेज 13 के विवादों ने आगामी SSC CGL 2025 जैसी बड़ी परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, जिसमें लगभग 30 लाख उम्मीदवार हिस्सा लेने वाले हैं। उम्मीदवारों और शिक्षकों का कहना है कि अगर इन समस्याओं का तुरंत समाधान नहीं किया गया, तो भविष्य में और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं।
इस विवाद ने भारत में प्रतियोगी परीक्षाओं की निजीकरण नीति पर भी सवाल उठाए हैं। कई शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने तर्क दिया है कि जब सरकार राष्ट्रीय चुनाव जैसे बड़े आयोजन कर सकती है, तो प्रतियोगी परीक्षाओं को गड़बड़ी-मुक्त क्यों नहीं कर सकती?
निष्कर्ष
एसएससी फेज 13 परीक्षा 2025, जो सरकारी नौकरियों के लिए उम्मीदवारों की आकांक्षाओं को पूरा करने का एक महत्वपूर्ण मंच थी, तकनीकी खामियों, प्रशासनिक लापरवाही, और खराब प्रबंधन के कारण विवादों में घिर गई। इसने न केवल लाखों उम्मीदवारों के सपनों पर आघात किया, बल्कि SSC और सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए। “दिल्ली चलो” जैसे प्रदर्शनों और सोशल मीडिया अभियानों ने दिखाया कि युवा अब अपनी आवाज को दबने नहीं देंगे। यह बवाल केवल एक परीक्षा की विफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी व्यवस्था की नाकामी को दर्शाता है जो युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। सरकार और SSC को अब पारदर्शी और सुचारू प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे, ताकि उम्मीदवारों का भरोसा बहाल हो सके।