Trump Tariffs today on India: Challenges for Trade and Traffic Growth

7 / 100 SEO Score
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ: वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी सरकार में उनके द्वारा लागू किए गए टैरिफ नीतियों ने वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है। 2025 में शुरू हुए इन टैरिफ्स ने न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, व्यापार संबंधों और उपभोक्ता कीमतों पर भी व्यापक असर डाला है। इस ब्लॉग में हम ट्रंप के टैरिफ नीतियों, उनके उद्देश्यों, परिणामों और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर उनके प्रभावों का विश्लेषण करेंगे। ट्रंप टैरिफ क्या हैं? टैरिफ एक प्रकार का कर है जो किसी देश द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाया जाता है। यह कर आयातकों को सरकार को देना पड़ता है, और इसका बोझ अक्सर उपभोक्ताओं या आयात करने वाली कंपनियों पर पड़ता है। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल (2017-2021) में भी टैरिफ नीतियों का उपयोग किया था, विशेष रूप से चीन, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों के खिलाफ। उनके दूसरे कार्यकाल में, 2025 में, ट्रंप ने और भी व्यापक और सख्त टैरिफ नीतियां लागू कीं। ट्रंप ने 2 अप्रैल, 2025 को इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) का उपयोग करके सभी देशों पर 10% का आधारभूत टैरिफ लागू किया। इसके अलावा, उन देशों पर अतिरिक्त “पारस्परिक” (reciprocal) टैरिफ लगाए गए जिनके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा सबसे अधिक है। उदाहरण के लिए, भारत पर रूसी तेल खरीदने के कारण 50% तक टैरिफ बढ़ा दिया गया। ट्रंप टैरिफ के पीछे का उद्देश्य ट्रंप की टैरिफ नीतियों के पीछे कई प्रमुख उद्देश्य हैं: अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देना: ट्रंप का दावा है कि टैरिफ अमेरिकी विनिर्माण और नौकरियों को प्रोत्साहित करेंगे। उनका मानना है कि आयातित वस्तुओं पर कर लगाने से अमेरिकी उपभोक्ता स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देंगे, जिससे स्थानीय उद्योगों को लाभ होगा। व्यापार घाटे को कम करना: अमेरिका का व्यापार घाटा, यानी आयात और निर्यात के बीच का अंतर, लंबे समय से ट्रंप के लिए चिंता का विषय रहा है। 2024 में अमेरिका का व्यापार घाटा $1.2 ट्रिलियन से अधिक था। ट्रंप का मानना है कि टैरिफ इस घाटे को कम कर सकते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना: ट्रंप ने टैरिफ को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा है। उदाहरण के लिए, स्टील, एल्यूमिनियम और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में आयात पर टैरिफ लगाकर, उन्होंने विदेशी आपूर्ति पर निर्भरता को कम करने की कोशिश की है। विदेशी नीतियों पर दबाव: ट्रंप ने टैरिफ का उपयोग भू-राजनीतिक दबाव के रूप में भी किया है। उदाहरण के लिए, भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया गया, जिसे ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को “वित्तपोषण” करने का आरोप लगाकर उचित ठहराया। 2025 के टैरिफ की मुख्य विशेषताएं विशाल दायरा: जनवरी से अप्रैल 2025 तक, औसत अमेरिकी टैरिफ दर 2.5% से बढ़कर 27% हो गई, जो एक सदी में सबसे अधिक है। अगस्त 2025 तक यह दर 18.3% थी। उद्योग-विशिष्ट टैरिफ: स्टील, एल्यूमिनियम और कॉपर पर 50% टैरिफ और आयातित कारों पर 25% टैरिफ लागू किया गया। इसके अलावा, सेमीकंडक्टर और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों पर टैरिफ की जांच चल रही है। देश-विशिष्ट टैरिफ: भारत, जापान, स्विट्जरलैंड और ताइवान जैसे देशों पर अलग-अलग दरों से टैरिफ लगाए गए। उदाहरण के लिए, भारत पर 50% और स्विट्जरलैंड पर 39% टैरिफ लागू हुआ। “पारस्परिक” टैरिफ: ट्रंप ने उन देशों पर उच्च टैरिफ लगाए जो अमेरिकी निर्यात पर व्यापारिक बाधाएं लगाते हैं। यह नीति “आप हमें जैसा व्यवहार करते हैं, हम आपको वैसा ही व्यवहार देंगे” के सिद्धांत पर आधारित है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव ट्रंप के टैरिफ्स का अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर मिश्रित प्रभाव पड़ा है: उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि: टैरिफ के कारण आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ी हैं, जिसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। येल विश्वविद्यालय के बजट लैब के अनुसार, 2025 में प्रत्येक अमेरिकी परिवार को औसतन $2,400 का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ रहा है। खाद्य पदार्थों जैसे कॉफी, मछली और शराब की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। रोजगार और आर्थिक विकास: ट्रंप का दावा है कि टैरिफ से नौकरियां बढ़ेंगी, लेकिन हाल के आंकड़े इसके विपरीत हैं। जुलाई 2025 में केवल 73,000 नौकरियां सृजित हुईं, जो अपेक्षा से कम थी। इसके अलावा, निर्माण व्यय में 2.9% की कमी आई और फैक्ट्री नौकरियों में कमी देखी गई। राजस्व में वृद्धि: टैरिफ ने संघीय सरकार के लिए महत्वपूर्ण राजस्व उत्पन्न किया है। जुलाई 2025 तक, सीमा शुल्क और अन्य करों से $152 बिलियन का राजस्व प्राप्त हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना है। ट्रंप ने इस राजस्व को हाल के कर कटौती के घाटे को भरने के लिए उपयोग करने की बात कही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव ट्रंप के टैरिफ्स ने वैश्विक व्यापार प्रणाली को हिलाकर रख दिया है: प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर प्रभाव: भारत: भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए 50% टैरिफ लगाया गया, जिससे कपड़ा, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्र प्रभावित हुए। भारत ने इसे “अनुचित” करार दिया और जवाबी कार्रवाई की धमकी दी। जापान: जापान पर कारों और अन्य वस्तुओं पर 24% टैरिफ के कारण निक्केई 225 सूचकांक में 7.8% की गिरावट आई, जो इसका तीसरा सबसे बड़ा एकल-दिवसीय नुकसान था। स्विट्जरलैंड: 39% टैरिफ के कारण स्विस स्टॉक मार्केट में 1.8% की गिरावट देखी गई, जिससे लक्जरी सामान और मशीनरी क्षेत्र प्रभावित हुए। प्रतिशोधी टैरिफ: कई देशों ने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में प्रतिशोधी टैरिफ की धमकी दी है। उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ ने फार्मास्यूटिकल्स पर 15% टैरिफ के साथ जवाबी कार्रवाई की। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान: टैरिफ ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित किया है, विशेष रूप से सेमीकंडक्टर और ऑटोमोटिव जैसे क्षेत्रों में। कंपनियों ने लागत कम करने के लिए उत्पादन को अन्य देशों में स्थानांतरित करने की कोशिश की, लेकिन यह प्रक्रिया जटिल और महंगी है। आलोचनाएं और चुनौतियां ट्रंप की टैरिफ नीतियों की व्यापक आलोचना हुई है: महंगाई का खतरा: अर्थशास्त्रियों का मानना है कि टैरिफ से मुद्रास्फीति बढ़ेगी, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ेगा। कानूनी विवाद: मई 2025 में, अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय ने IEEPA टैरिफ को अवैध करार दिया, लेकिन अपील के दौरान इन्हें लागू रखा गया। वैश्विक अस्थिरता: ट्रंप की नीतियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता पैदा की है। कई देशों ने इसे “वैश्विक शेकडाउन” करार दिया, जिसमें ट्रंप निवेश प्रतिबद्धताओं के बदले कम टैरिफ की पेशकश कर रहे हैं। निष्कर्ष डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियां एक साहसिक और विवादास्पद कदम हैं, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पुनर्जनन देने और वैश्विक व्यापार को फिर से आकार देने का प्रयास करती हैं। हालांकि, ये नीतियां मिश्रित परिणाम दे रही हैं। जहां एक ओर सरकारी राजस्व में वृद्धि हुई है, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ता कीमतें बढ़ी हैं और वैश्विक व्यापार संबंध तनावपूर्ण हुए हैं। भविष्य में इन नीतियों का प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि अन्य देश कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और क्या ट्रंप अपनी “आर्ट ऑफ द डील” रणनीति के माध्यम से स्थायी व्यापार समझौते हासिल कर पाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *