एक जुट नहीं है विपक्ष? जयराम दे रहे जगदीप धनखड़ का साथ, विपक्षी सांसदों में बंटी राय

भारतीय विपक्ष की एकजुटता हाल के घटनाक्रमों में सवालों के घेरे में है, खासकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने धनखड़ के अचानक इस्तीफे को अप्रत्याशित बताया और उनके स्वास्थ्य की कामना करते हुए कहा कि इस्तीफे के पीछे अन्य कारण भी हो सकते हैं। उन्होंने धनखड़ के फैसले पर पुनर्विचार की अपील की और प्रधानमंत्री से उन्हें मनाने का आग्रह किया। यह बयान विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के कुछ नेताओं के रुख से अलग है, जो धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाते रहे हैं। पहले विपक्ष ने धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था, लेकिन बीजेडी जैसे दलों ने समर्थन नहीं दिया। कुछ विपक्षी सांसदों, जैसे इमरान मसूद और कपिल सिब्बल, ने धनखड़ के साथ अच्छे संबंधों का जिक्र किया, जबकि अन्य ने इस्तीफे को बीजेपी की रणनीति से जोड़ा। यह मतभेद विपक्षी एकता पर सवाल उठाता है, क्योंकि जहां जयराम धनखड़ का समर्थन करते दिखे, वहीं अन्य सांसदों की राय बंटी हुई है। इससे विपक्ष की रणनीति और एकजुटता की कमी उजागर होती है।

1 जनवरी 2026 से देश में लागू होगा 8th Pay Commission,

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आठवां वेतन आयोग, जिसे केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में मंजूरी दी, 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है। यह आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्तों और पेंशन में संशोधन के लिए गठित किया गया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, यह 48.67 लाख कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनभोगियों को लाभ देगा। सातवां वेतन आयोग, जो 2016 में लागू हुआ, 31 दिसंबर 2025 को समाप्त होगा। आठवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम बेसिक वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹34,560-₹51,480 हो सकता है, जो 2.57 से 2.86 के फिटमेंट फैक्टर पर निर्भर करेगा। पेंशन में भी लगभग ₹17,280 तक की वृद्धि संभावित है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि संदर्भ शर्तों (ToR) और बजटीय आवंटन में देरी के कारण कार्यान्वयन में कुछ विलंब हो सकता है। आयोग को अपनी सिफारिशें तैयार करने में 18-24 महीने लग सकते हैं। कर्मचारी और पेंशनभोगी उम्मीद कर रहे हैं कि यह आयोग महंगाई और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर उनकी आय में सुधार करेगा, जिससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी।