सरकार के संदेश अनसुने विपक्ष से तालमेल और इस्तीफे का दांव धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद छोड़ने की पुरी कहानी
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. सूत्रों ने बताया कि धनखड़ और सरकार के बीच लंबे वक्त से मतभेद चल रह…
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है. 21 जुलाई को संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों …
सूत्रों के अनुसार, संसद सत्र शुरू होने से 4-5 दिन पहले संसदीय कार्य मंत्री ने उपराष्ट्रपति को सूचित कर दिया था कि सरकार लोकसभा में न्यायमूर्ति वर्मा क…
इस बीच सरकार की ओर से तीन बार धनखड़ से संपर्क कर अपील की कि जो हस्ताक्षर एकत्र किए जा रहे हैं, उनमें सत्ता पक्ष के सांसदों के हस्ताक्षर भी शामिल किए ज…
कार्रवाई से पहले दिया इस्तीफा’
सूत्रों का कहना है कि इसके बाद सरकार की ओर से कोई भी सीधी कार्रवाई होने से पहले ही धनखड़ बिना किसी सूचना के राष्ट्रपति…
इसके अलावा धनखड़ ने मंत्रियों के कार्यालयों में अपनी तस्वीर लगाने और अपनी फ्लीट की गाड़ियों को मर्सिडीज करने के लिए दबाव डाला था. ये घटनाएं सरकार के स…
भारत में हाल ही में एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर देशभर में चर्चा तेज़ हो गई है। इस ऑपरेशन की रणनीति, उद्देश्य और इसके राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य परिणामों पर संसद में गहन चर्चा होने जा रही है। लोकसभा और राज्यसभा में इस मुद्दे पर 16 घंटे की बहस तय की गई है, जिसकी शुरुआत सोमवार से होगी।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा पड़ोसी क्षेत्रों में सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई और रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से शुरू किया गया एक व्यापक सैन्य अभियान है। यह ऑपरेशन एक साथ कई मोर्चों पर चलाया गया, जिसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की संयुक्त भूमिका रही। इसका उद्देश्य सीमाओं पर बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों से निपटना और भारत की सामरिक शक्ति का प्रदर्शन करना है
संसद में चर्चा का महत्व
संसद में किसी सैन्य अभियान पर चर्चा होना यह दिखाता है कि लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को कितना महत्व दिया जाता है। इस बहस में सत्तारूढ़ पार्टी के साथ-साथ विपक्ष भी अपनी राय रखेगा। सरकार की तरफ से ऑपरेशन की पृष्ठभूमि, निर्णय लेने की प्रक्रिया, रणनीति और उसके परिणामों को रखा जाएगा, वहीं विपक्ष सवाल उठा सकता है कि यह कदम कितना आवश्यक था, इससे देश की सुरक्षा और विदेश नीति पर क्या असर पड़ा।
राजनीतिक दृष्टिकोण
यह बहस केवल एक सैन्य ऑपरेशन पर नहीं है, बल्कि यह सरकार की विदेश नीति, कूटनीति, सुरक्षा रणनीति और आंतरिक निर्णय प्रक्रिया की पारदर्शिता का भी मूल्यांकन है। कुछ विपक्षी नेता इसे सरकार की राजनीतिक छवि मजबूत करने की कोशिश बता रहे हैं, जबकि सरकार का कहना है कि यह राष्ट्रहित में उठाया गया कदम है।
जनता की नजर में ऑपरेशन सिंदूर
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर आम जनता में भी काफी उत्सुकता है। सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर इसके बारे में लगातार चर्चा हो रही है। देशभक्ति की भावना के साथ-साथ लोग यह भी जानना चाहते हैं कि इस ऑपरेशन का वास्तविक उद्देश्य और परिणाम क्या हैं।
निष्कर्ष:
सोमवार से शुरू हो रही संसद की 16 घंटे की बहस “ऑपरेशन सिंदूर” पर न केवल देश की सुरक्षा और रणनीति के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगी, बल्कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की परिपक्वता को भी दर्शाएगी। यह चर्चा देश के नागरिकों को जानकारी देने, सवाल पूछने और राष्ट्रहित में निर्णयों की समी
भारतीय विपक्ष की एकजुटता हाल के घटनाक्रमों में सवालों के घेरे में है, खासकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने धनखड़ के अचानक इस्तीफे को अप्रत्याशित बताया और उनके स्वास्थ्य की कामना करते हुए कहा कि इस्तीफे के पीछे अन्य कारण भी हो सकते हैं। उन्होंने धनखड़ के फैसले पर पुनर्विचार की अपील की और प्रधानमंत्री से उन्हें मनाने का आग्रह किया। यह बयान विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के कुछ नेताओं के रुख से अलग है, जो धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाते रहे हैं। पहले विपक्ष ने धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था, लेकिन बीजेडी जैसे दलों ने समर्थन नहीं दिया। कुछ विपक्षी सांसदों, जैसे इमरान मसूद और कपिल सिब्बल, ने धनखड़ के साथ अच्छे संबंधों का जिक्र किया, जबकि अन्य ने इस्तीफे को बीजेपी की रणनीति से जोड़ा। यह मतभेद विपक्षी एकता पर सवाल उठाता है, क्योंकि जहां जयराम धनखड़ का समर्थन करते दिखे, वहीं अन्य सांसदों की राय बंटी हुई है। इससे विपक्ष की रणनीति और एकजुटता की कमी उजागर होती है।
आठवां वेतन आयोग, जिसे केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में मंजूरी दी, 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है। यह आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्तों और पेंशन में संशोधन के लिए गठित किया गया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, यह 48.67 लाख कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनभोगियों को लाभ देगा। सातवां वेतन आयोग, जो 2016 में लागू हुआ, 31 दिसंबर 2025 को समाप्त होगा। आठवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम बेसिक वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹34,560-₹51,480 हो सकता है, जो 2.57 से 2.86 के फिटमेंट फैक्टर पर निर्भर करेगा। पेंशन में भी लगभग ₹17,280 तक की वृद्धि संभावित है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि संदर्भ शर्तों (ToR) और बजटीय आवंटन में देरी के कारण कार्यान्वयन में कुछ विलंब हो सकता है। आयोग को अपनी सिफारिशें तैयार करने में 18-24 महीने लग सकते हैं। कर्मचारी और पेंशनभोगी उम्मीद कर रहे हैं कि यह आयोग महंगाई और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर उनकी आय में सुधार करेगा, जिससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी।
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। यह घोषणा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन हुई, जिसने राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक चर्चा और अटकलों को जन्म दिया। धनखड़ ने अपने इस्तीफे में संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत पद छोड़ने की बात कही, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके इस कदम ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचाई, बल्कि उनके कार्यकाल और स्वास्थ्य से जुड़े सवालों को भी सामने लाया।
जगदीप धनखड़, जो अगस्त 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने थे, ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। पेशे से वकील और पूर्व में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे धनखड़ का कार्यकाल विवादों से भी घिरा रहा। खासतौर पर, विपक्षी दलों ने उन पर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाया और उनके खिलाफ राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश भी की। इसके बावजूद, धनखड़ ने अपने पत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसद सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने अपने अनुभवों को “अमूल्य” बताया और भारत की आर्थिक प्रगति व विकास में योगदान को अपने लिए गर्व का विषय कहा।
धनखड़ के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे हाल के महीनों में सुर्खियों में रहे हैं। मार्च 2025 में उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया था, जहाँ उनकी एंजियोप्लास्टी हुई। इसके अलावा, 25 जून 2025 को उत्तराखंड के नैनीताल में कुमाऊं विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के दौरान उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें राजभवन में चिकित्सकीय देखभाल दी गई। इन घटनाओं ने उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएँ बढ़ाई थीं, और उनके परिवार ने भी उन्हें स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की सलाह दी थी।
हालांकि, धनखड़ के इस्तीफे की टाइमिंग ने कई सवाल खड़े किए हैं। यह इस्तीफा संसद सत्र के पहले दिन आया, जब वे दिनभर संसद भवन में मौजूद थे और शाम 7:30 बजे तक कांग्रेस नेता जयराम रमेश से उनकी फोन पर बात हुई थी। विपक्षी नेताओं, जैसे जयराम रमेश और इमरान मसूद, ने इस अचानक फैसले पर आश्चर्य जताया और इसके पीछे अन्य संभावित कारणों की ओर इशारा किया। रमेश ने कहा कि स्वास्थ्य निश्चित रूप से प्राथमिकता है, लेकिन इस्तीफे के पीछे “जो दिखाई दे रहा है, उससे कहीं ज्यादा” हो सकता है। कुछ विपक्षी नेताओं ने सरकार पर इस मुद्दे को लेकर हमलावर रुख अपनाया, जिससे संसद में हंगामे की आशंका बढ़ गई है।
संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के लिए स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती, और धनखड़ का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से लागू हो गया। अब 60 दिनों के भीतर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य भाग लेंगे। तब तक राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति के रूप में जिम्मेदारी संभालेंगे। धनखड़ का इस्तीफा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, और नई नियुक्ति को लेकर चर्चाएँ तेज हो गई हैं।
धनखड़ के कार्यकाल को भारत के परिवर्तनकारी युग का हिस्सा माना गया, जिसमें उन्होंने देश की वैश्विक प्रतिष्ठा और आर्थिक प्रगति की सराहना की। उनके इस्तीफे ने उनके समर्थकों और आलोचकों दोनों के बीच बहस छेड़ दी है। जहाँ कुछ लोग उनके स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएँ दे रहे हैं, वहीं अन्य इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या यह इस्तीफा केवल स्वास्थ्य कारणों से था या इसके पीछे कोई राजनीतिक दबाव भी था।
विपक्ष संसद में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर चर्चा की मांग को लेकर अडिग है। इन घटनाओं ने देश की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, जिसके चलते विपक्ष सरकार से जवाबदेही की मांग कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि इन हमलों ने राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती दी है, और इस पर खुले तौर पर बहस जरूरी है। साथ ही, विपक्ष ने प्रधानमंत्री की संसद में उपस्थिति की मांग की है ताकि वह इन मुद्दों पर सरकार का पक्ष स्पष्ट करें। यह मांग संसद के मौजूदा सत्र में तनाव का कारण बन रही है
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र सौंपा। धनखड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान सहयोग के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सांसदों का आभार व्यक्त किया। उनके इस्तीफे से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। अब उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के कार्यवाहक सभापति होंगे। नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए जल्द प्रक्रिया शुरू होगी, जो 60 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए।