Pm kisan yojana

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना: किसानों के लिए एक वरदान
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। देश के किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने और उनकी आजीविका को मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना की शुरुआत की। यह योजना छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उनकी वित्तीय स्थिरता और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करती है। इस ब्लॉग में हम PM-KISAN योजना के बारे में विस्तार से जानेंगे, इसके उद्देश्य, विशेषताएं, पात्रता, आवेदन प्रक्रिया और लाभों पर चर्चा करेंगे।
PM-KISAN योजना क्या है?
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसे भारत सरकार ने 1 दिसंबर 2018 को शुरू किया था और इसे औपचारिक रूप से फरवरी 2019 में लॉन्च किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान करना है ताकि वे अपनी कृषि और घरेलू जरूरतों को पूरा कर सकें। योजना के तहत पात्र किसान परिवारों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है, जो तीन समान किस्तों (2,000 रुपये प्रत्येक) में हर चार महीने में सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की जाती है। यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) सिस्टम के माध्यम से दी जाती है, जो पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करता है।
योजना के उद्देश्य
PM-KISAN योजना के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य हैं:
आय सहायता: छोटे और सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर उनकी आय में वृद्धि करना।
कृषि निवेश को बढ़ावा: किसानों को बीज, उर्वरक, उपकरण और अन्य कृषि जरूरतों के लिए संसाधन उपलब्ध कराना।
ऋण पर निर्भरता कम करना: किसानों को साहूकारों और उच्च ब्याज वाले कर्ज से बचाने में मदद करना।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना: ग्रामीण क्षेत्रों में खपत को बढ़ाकर आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देना।
खाद्य सुरक्षा: कृषि उत्पादकता बढ़ाकर देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
योजना की प्रमुख विशेषताएं
प्रत्यक्ष आय सहायता: पात्र किसान परिवारों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये, तीन किस्तों (2,000 रुपये प्रत्येक) में प्रदान किए जाते हैं।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): राशि सीधे आधार से जुड़े बैंक खातों में हस्तांतरित की जाती है, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त होती है।
पारदर्शी प्रक्रिया: आधार-आधारित सत्यापन और डिजिटल पोर्टल के माध्यम से योजना की प्रक्रिया पारदर्शी और कुशल है।
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से जोड़ना: PM-KISAN को KCC के साथ जोड़ा गया है ताकि किसानों को औपचारिक ऋण तक आसान पहुंच मिल सके।
महिलाओं का सशक्तिकरण: योजना के तहत कृषि सखी कॉन्सेप्ट प्रोग्राम (KSCP) के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की महिलाओं को प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रदान किया जाता है, जिससे वे कृषि क्षेत्र में पैरा-एक्सटेंशन वर्कर के रूप में काम कर सकें।
पात्रता मानदंड
PM-KISAN योजना का लाभ उठाने के लिए निम्नलिखित पात्रता मानदंड पूरे करने आवश्यक हैं:
जमीन का स्वामित्व: किसान परिवार के पास खेती योग्य जमीन होनी चाहिए।
परिवार की परिभाषा: योजना के तहत परिवार में पति, पत्नी और नाबालिग बच्चे शामिल हैं।
छोटे और सीमांत किसान: शुरू में यह योजना 2 हेक्टेयर तक की जमीन वाले किसानों के लिए थी, लेकिन बाद में इसे सभी जमीन मालिक किसानों के लिए विस्तारित किया गया।
नागरिकता: लाभार्थी को भारत का नागरिक होना चाहिए।
अपात्रता:
आयकर दाता किसान परिवार।
सरकारी कर्मचारी, पेंशनभोगी (10,000 रुपये से अधिक मासिक पेंशन), या संवैधानिक पदों पर कार्यरत/पूर्व में कार्यरत व्यक्ति।
पेशेवर जैसे डॉक्टर, वकील, इंजीनियर आदि जो पेशेवर निकायों के साथ पंजीकृत हैं।
संस्थागत भूस्वामी।
आवेदन प्रक्रिया
PM-KISAN योजना में पंजीकरण के लिए निम्नलिखित चरण हैं:
आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: PM-KISAN की आधिकारिक वेबसाइट (https://pmkisan.gov.in) पर जाएं।
नया पंजीकरण: ‘Farmers Corner’ सेक्शन में ‘New Farmer Registration’ विकल्प पर क्लिक करें।
विवरण दर्ज करें: आधार नंबर, बैंक खाता विवरण और अन्य आवश्यक जानकारी दर्ज करें।
e-KYC प्रक्रिया: आधार-आधारित e-KYC अनिवार्य है। इसके लिए अपने आधार नंबर और मोबाइल नंबर के साथ OTP सत्यापन करें।
आवेदन जमा करें: सभी विवरण सही होने पर आवेदन जमा करें।
स्थिति जांचें: ‘Know Your Status’ विकल्प के माध्यम से अपने आवेदन और भुगतान की स्थिति की जांच करें।
किसान PM-KISAN मोबाइल ऐप के माध्यम से भी पंजीकरण, स्थिति जांच और e-KYC प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।
योजना का प्रभाव
वित्तीय सहायता: अब तक 11 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को 3.45 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित की जा चुकी है।
19वीं किस्त: 24 फरवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के भागलपुर में 19वीं किस्त जारी की, जिसके तहत 9.8 करोड़ किसानों को 22,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान: इस योजना ने ग्रामीण खपत को बढ़ावा दिया और किसानों की वित्तीय स्थिरता में सुधार किया।
महिलाओं का सशक्तिकरण: कृषि सखी कार्यक्रम के तहत 30,000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रदान किया गया, जिससे ग्रामीण भारत में महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिला।
डिजिटल समावेशन: योजना ने डिजिटल रिकॉर्ड और बैंक खातों के उपयोग को बढ़ावा दिया, जिससे वित्तीय समावेशन में सुधार हुआ।
चुनौतियां और सुझाव
हालांकि PM-KISAN योजना ने लाखों किसानों को लाभ पहुंचाया है, फिर भी कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं:
लाभार्थी पहचान में कठिनाई: कुछ राज्यों में पात्र किसानों की पहचान में देरी हुई है।
e-KYC की अनिवार्यता: तकनीकी जागरूकता की कमी के कारण कुछ किसानों को e-KYC प्रक्रिया में कठिनाई होती है।
अपर्याप्त राशि: 6,000 रुपये की वार्षिक सहायता कुछ किसानों के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती।
सुझाव:
लाभार्थी पहचान प्रक्रिया को और सरल करना।
डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना ताकि e-KYC और ऑनलाइन प्रक्रियाएं आसान हो सकें।
राशि को बढ़ाने या अन्य कल्याणकारी योजनाओं के साथ एकीकृत करने पर विचार करना।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना भारत के छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल उनकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डिजिटल तकनीक और पारदर्शी प्रणाली के उपयोग ने इस योजना को और प्रभावी बनाया है। यदि आप एक किसान हैं और अभी तक इस योजना का लाभ नहीं उठाया है, तो तुरंत PM-KISAN पोर्टल पर पंजीकरण करें और अपनी स्थिति की जांच करें। यह योजना न केवल किसानों की आजीविका को बेहतर बनाती है, बल्कि भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाती है।
आधिकारिक वेबसाइट: pmkisan.gov.in
हेल्पलाइन नंबर: 155261 / 011-24300606
क्या आप इस योजना के बारे में और जानना चाहते हैं या किसी विशिष्ट पहलू पर चर्चा करना चाहते हैं? अपनी टिप्पणी नीचे साझा करें!

आज बैंक अवकाश: शनिवार, 26 जुलाई को बैंक खुले रहेंगे या बंद? यहाँ देखें. Bank holiday today: Are banks open or closed on Saturday, 26 July? Check here

Banks are generally closed on the second and fourth Saturdays of every month. However, they are open on the first, third and fifth Saturdays, according to the RBI calendar on bank holidays. 

बैंक आमतौर पर हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को बंद रहते हैं। हालाँकि, आरबीआई के बैंक अवकाश कैलेंडर के अनुसार, वे पहले, तीसरे और पाँचवें शनिवार को खुले रहते हैं।

 

बैंक अवकाश आज, 26 जुलाई: आरबीआई बैंक अवकाश कैलेंडर के अनुसार, 26 जुलाई, 2025 को महीने के चौथे शनिवार को बैंक बंद रहेंगे।

 

आज शनिवार 26 जुलाई को बैंक क्यों बंद हैं?

बैंक आमतौर पर हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को बंद रहते हैं। हालाँकि, आरबीआई के बैंक अवकाश कैलेंडर के अनुसार, वे पहले, तीसरे और पाँचवें शनिवार को खुले रहते हैं।

 

चूंकि शनिवार, 26 जुलाई महीने का चौथा शनिवार है, इसलिए आज बैंक में अवकाश है।

 

बैंक अवकाश के विभिन्न प्रकार क्या हैं?

आरबीआई सभी बैंक अवकाशों को तीन भागों में वर्गीकृत करता है, अर्थात् परक्राम्य लिखत अधिनियम, वास्तविक समय सकल निपटान (आरटीजीएस) अवकाश और बैंकों के खातों को बंद करना।

 

शनिवार, 26 जुलाई, 2025 को परक्राम्य लिखत अधिनियम, जो चेक और वचन पत्र जारी करने को नियंत्रित करता है, के अंतर्गत अवकाश घोषित किया गया है। इसलिए, इन लिखतों सहित लेनदेन अवकाश के दौरान उपलब्ध नहीं होंगे।

क्या जुलाई में कोई और बैंक अवकाश है?

जी हाँ, आज बैंक की छुट्टी के अलावा , 27 जुलाई को भी रविवार होने के कारण बैंक की छुट्टी रहेगी। इसके अलावा, गंगटोक में द्रुकपा त्से-ज़ी के अवसर पर बैंक बंद रहेंगे।

 

अगस्त में आगामी बैंक अवकाश

अगस्त में शनिवार और रविवार की छुट्टियों के अलावा नौ बैंक अवकाश हैं। अगस्त 2025 में बैंक अवकाशों की पूरी सूची इस प्रकार है:

 

8 अगस्त (शुक्रवार): टेंडोंग लो रम फात के कारण गंगटोक में बैंक बंद रहेंगे।

9 अगस्त (शनिवार): रक्षा बंधन और झूला पूर्णिमा के कारण अहमदाबाद, भोपाल, भुवनेश्वर, देहरादून, जयपुर, कानपुर, लखनऊ, शिमला में बैंक बंद रहेंगे।

13 अगस्त (बुधवार): देशभक्ति दिवस के अवसर पर अहमदाबाद, भोपाल, भुवनेश्वर, देहरादून, इंफाल, जयपुर, कानपुर, शिमला में बैंक बंद रहेंगे।

15 अगस्त (शुक्रवार): स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पूरे भारत में बैंक बंद रहेंगे

16 अगस्त (शनिवार): जन्माष्टमी (श्रावण वद-8) और कृष्ण जयंती के अवसर पर आइजोल, चंडीगढ़, चेन्नई, देहरादून, गंगटोक, हैदराबाद, इम्फाल, जयपुर, जम्मू, कानपुर, लखनऊ, पटना, रायपुर, रांची, शिलांग, श्रीनगर, विजयवाड़ा में बैंक बं

द रहेंगे।

19 अगस्त (मंगलवार): महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर की जयंती के अवसर पर अगरतला में बैंक बंद रहेंगे।

25 अगस्त (सोमवार): श्रीमंत शंकरदेव की तिरुभाव तिथि के कारण अहमदाबाद, बेलापुर, बेंगलुरु, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, मुंबई, नागपुर, विजयवाड़ा में बैंक बंद रहेंगे।

27 अगस्त (बुधवार): गणेश चतुर्थी/संवत्सरी (चतुर्थी पक्ष)/वारासिद्धि विनायक व्रत/गणेश पूजा/विनायक चतुर्थी के लिए भुवनेश्वर और पणजी में बैंक बंद रहेंगे।

28 अगस्त (गुरुवार): गणेश चतुर्थी (द्वितीय दिन)/नुआखाई के कारण पणजी में बैंक बंद रहेंगे।

क्या मैं बैंक अवकाश के दिन ऑनलाइन बैंकिंग सेवाओं का उपयोग कर पाऊंगा?

 

 

Kamal Haasan Makes Parliament Debut, Takes Oath As Rajya Sabha MP In Tamil

 

अभिनेता से नेता बने और मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) प्रमुख कमल हासन ने शुक्रवार को राज्यसभा में सांसद के रूप में शपथ लेकर संसद में पदार्पण किया। उन्होंने साथी सांसदों की ज़ोरदार मेज़ थपथपाहट के बीच तमिल में शपथ ली।

69 वर्षीय राजनेता को 12 जून को डीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन के समर्थन से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुना गया था।

शपथ ग्रहण समारोह से पहले, श्री हासन ने कहा, “मैं आज दिल्ली में शपथ लेने और अपना नाम पंजीकृत कराने जा रहा हूं। मैं एक भारतीय के रूप में मुझे दिए गए सम्मान के साथ इस कर्तव्य को पूरा करने जा रहा हूं।”

एक दिन पहले, श्री हासन ने एनडीटीवी को बताया कि वह “सम्मानित” महसूस कर रहे हैं और अपनी संसदीय यात्रा शुरू करते हुए उन पर लगाई गई उम्मीदों के प्रति सचेत हैं। उन्होंने कहा, “शुरुआत से ही मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। मुझे पता है कि मुझे बहुत कुछ करना है। मुझसे कुछ अपेक्षाएँ हैं – मुझे उम्मीद है कि मैं उन उम्मीदों पर खरा उतरूँगा। मैं पूरी कोशिश करूँगा कि मैं ईमानदार और गंभीर रहूँ और तमिलनाडु और भारत के लिए बोलूँ।”

श्री हासन ने 2017 में भ्रष्टाचार से लड़ने, ग्रामीण विकास और पर्यावरणीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी पार्टी की स्थापना की थी। 2019 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी को लगभग 4 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके बाद उन्होंने 2021 का तमिलनाडु विधानसभा चुनाव लड़ा, जहाँ श्री हासन कोयंबटूर दक्षिण सीट से भाजपा की वनाथी श्रीनिवासन से मामूली अंतर से हार गए।

 

कमल हासन के नेतृत्व वाली पार्टी ने 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था, बल्कि सत्तारूढ़ द्रमुक को अपना समर्थन दिया था – इसे “समय की ज़रूरत” बताते हुए। तमिलनाडु में द्रमुक की जीत के बाद, पार्टी ने महिलाओं को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लिए श्री हासन के दृष्टिकोण को अपनाया और पात्र महिला परिवारों को 1,000 रुपये मासिक सहायता देने की अपनी प्रमुख योजना शुरू की।

एमएनएम के डीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन के हिस्से के रूप में 2026 तमिलनाडु विधानसभा चुनाव लड़ने की उम्मीद है।

 

उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफा देने की पुरी कहानी जानिए

सरकार के संदेश अनसुने विपक्ष से तालमेल और इस्तीफे का दांव धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद छोड़ने की पुरी कहानी

 

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. सूत्रों ने बताया कि धनखड़ और सरकार के बीच लंबे वक्त से मतभेद चल रह…

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है. 21 जुलाई को संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों …

सूत्रों के अनुसार, संसद सत्र शुरू होने से 4-5 दिन पहले संसदीय कार्य मंत्री ने उपराष्ट्रपति को सूचित कर दिया था कि सरकार लोकसभा में न्यायमूर्ति वर्मा क…

इस बीच सरकार की ओर से तीन बार धनखड़ से संपर्क कर अपील की कि जो हस्ताक्षर एकत्र किए जा रहे हैं, उनमें सत्ता पक्ष के सांसदों के हस्ताक्षर भी शामिल किए ज…

कार्रवाई से पहले दिया इस्तीफा’

 

सूत्रों का कहना है कि इसके बाद सरकार की ओर से कोई भी सीधी कार्रवाई होने से पहले ही धनखड़ बिना किसी सूचना के राष्ट्रपति…

इसके अलावा धनखड़ ने मंत्रियों के कार्यालयों में अपनी तस्वीर लगाने और अपनी फ्लीट की गाड़ियों को मर्सिडीज करने के लिए दबाव डाला था. ये घटनाएं सरकार के स…

ऑपरेशन सिंदुर पर संसद में 16 घटें चर्चा, सोमवार से लोकसभा में बहस

 

 

भारत में हाल ही में एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर देशभर में चर्चा तेज़ हो गई है। इस ऑपरेशन की रणनीति, उद्देश्य और इसके राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य परिणामों पर संसद में गहन चर्चा होने जा रही है। लोकसभा और राज्यसभा में इस मुद्दे पर 16 घंटे की बहस तय की गई है, जिसकी शुरुआत सोमवार से होगी।

क्या है ऑपरेशन सिंदूर?

ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा पड़ोसी क्षेत्रों में सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई और रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से शुरू किया गया एक व्यापक सैन्य अभियान है। यह ऑपरेशन एक साथ कई मोर्चों पर चलाया गया, जिसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की संयुक्त भूमिका रही। इसका उद्देश्य सीमाओं पर बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों से निपटना और भारत की सामरिक शक्ति का प्रदर्शन करना है

संसद में चर्चा का महत्व

संसद में किसी सैन्य अभियान पर चर्चा होना यह दिखाता है कि लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को कितना महत्व दिया जाता है। इस बहस में सत्तारूढ़ पार्टी के साथ-साथ विपक्ष भी अपनी राय रखेगा। सरकार की तरफ से ऑपरेशन की पृष्ठभूमि, निर्णय लेने की प्रक्रिया, रणनीति और उसके परिणामों को रखा जाएगा, वहीं विपक्ष सवाल उठा सकता है कि यह कदम कितना आवश्यक था, इससे देश की सुरक्षा और विदेश नीति पर क्या असर पड़ा।

राजनीतिक दृष्टिकोण

यह बहस केवल एक सैन्य ऑपरेशन पर नहीं है, बल्कि यह सरकार की विदेश नीति, कूटनीति, सुरक्षा रणनीति और आंतरिक निर्णय प्रक्रिया की पारदर्शिता का भी मूल्यांकन है। कुछ विपक्षी नेता इसे सरकार की राजनीतिक छवि मजबूत करने की कोशिश बता रहे हैं, जबकि सरकार का कहना है कि यह राष्ट्रहित में उठाया गया कदम है।

जनता की नजर में ऑपरेशन सिंदूर

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर आम जनता में भी काफी उत्सुकता है। सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर इसके बारे में लगातार चर्चा हो रही है। देशभक्ति की भावना के साथ-साथ लोग यह भी जानना चाहते हैं कि इस ऑपरेशन का वास्तविक उद्देश्य और परिणाम क्या हैं।

निष्कर्ष:

सोमवार से शुरू हो रही संसद की 16 घंटे की बहस “ऑपरेशन सिंदूर” पर न केवल देश की सुरक्षा और रणनीति के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगी, बल्कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की परिपक्वता को भी दर्शाएगी। यह चर्चा देश के नागरिकों को जानकारी देने, सवाल पूछने और राष्ट्रहित में निर्णयों की समी

क्षा करने का एक अनोखा अवसर है।

 

 

सैयारा देख रो पड़ी ऑडियन्स, थिएटर में बेहोश हुई लड़की, चीखने-चिल्लाने लगा था युवक, Viral हुए

देशभर से तरह-तरह के वीडियोज सामने आ रहे हैं. फिल्म का बज इस कदर हो गया है कि ना सिर्फ लोग थियेटर में गानों पर नाच रहे हैं, बल्कि खूब आंसू बहा रहे हैं….

Henley Passport Index में भारत की लंबी छलांग, अमेरिका-ब्रिटेन के पासपोर्ट की रैंकिंग गिरी

Henley Passport Index 2025 के नवीनतम अपडेट में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है, जो आठ स्थान की छलांग के साथ 85वें से 77वें स्थान पर पहुंच गया है। भारतीय पासपोर्ट धारकों को अब 59 देशों में वीजा-मुक्त या वीजा-ऑन-अराइवल सुविधा प्राप्त है, जिसमें थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, केन्या और जमैका जैसे लोकप्रिय पर्यटक स्थल शामिल हैं। यह सुधार भारत के बढ़ते राजनयिक संबंधों और द्विपक्षीय समझौतों का परिणाम है। हालांकि, अमेरिका, ब्रिटेन, शेंगेन देशों और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के लिए अभी भी वीजा आवश्यक है। दूसरी ओर, सिंगापुर 195 देशों में वीजा-मुक्त पहुंच के साथ शीर्ष पर बना हुआ है, जबकि जापान 193 देशों के साथ दूसरे स्थान पर है। अमेरिका की रैंकिंग 2014 में पहले स्थान से गिरकर 2025 में 9वें स्थान पर आ गई है, जो सात स्थान की गिरावट दर्शाता है। इसी तरह, ब्रिटेन 2015 में शीर्ष स्थान से खिसककर 5वें स्थान पर है। भारत की यह प्रगति वैश्विक गतिशीलता में सुधार और मजबूत अंतरराष्ट्रीय संबंधों का संकेत देती है, जबकि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की रैंकिंग में गिरावट उनकी घटती राजनयिक पहुंच को दर्शाती है।

एक जुट नहीं है विपक्ष? जयराम दे रहे जगदीप धनखड़ का साथ, विपक्षी सांसदों में बंटी राय

भारतीय विपक्ष की एकजुटता हाल के घटनाक्रमों में सवालों के घेरे में है, खासकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने धनखड़ के अचानक इस्तीफे को अप्रत्याशित बताया और उनके स्वास्थ्य की कामना करते हुए कहा कि इस्तीफे के पीछे अन्य कारण भी हो सकते हैं। उन्होंने धनखड़ के फैसले पर पुनर्विचार की अपील की और प्रधानमंत्री से उन्हें मनाने का आग्रह किया। यह बयान विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के कुछ नेताओं के रुख से अलग है, जो धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाते रहे हैं। पहले विपक्ष ने धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था, लेकिन बीजेडी जैसे दलों ने समर्थन नहीं दिया। कुछ विपक्षी सांसदों, जैसे इमरान मसूद और कपिल सिब्बल, ने धनखड़ के साथ अच्छे संबंधों का जिक्र किया, जबकि अन्य ने इस्तीफे को बीजेपी की रणनीति से जोड़ा। यह मतभेद विपक्षी एकता पर सवाल उठाता है, क्योंकि जहां जयराम धनखड़ का समर्थन करते दिखे, वहीं अन्य सांसदों की राय बंटी हुई है। इससे विपक्ष की रणनीति और एकजुटता की कमी उजागर होती है।

1 जनवरी 2026 से देश में लागू होगा 8th Pay Commission,

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आठवां वेतन आयोग, जिसे केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में मंजूरी दी, 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है। यह आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्तों और पेंशन में संशोधन के लिए गठित किया गया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, यह 48.67 लाख कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनभोगियों को लाभ देगा। सातवां वेतन आयोग, जो 2016 में लागू हुआ, 31 दिसंबर 2025 को समाप्त होगा। आठवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम बेसिक वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹34,560-₹51,480 हो सकता है, जो 2.57 से 2.86 के फिटमेंट फैक्टर पर निर्भर करेगा। पेंशन में भी लगभग ₹17,280 तक की वृद्धि संभावित है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि संदर्भ शर्तों (ToR) और बजटीय आवंटन में देरी के कारण कार्यान्वयन में कुछ विलंब हो सकता है। आयोग को अपनी सिफारिशें तैयार करने में 18-24 महीने लग सकते हैं। कर्मचारी और पेंशनभोगी उम्मीद कर रहे हैं कि यह आयोग महंगाई और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर उनकी आय में सुधार करेगा, जिससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी।